व्यावसायिक संचार Notes 📝 in Hindi By RAHUL & NITESH

Rahul Yadav &Nitesh Gupta :

व्यावसायिक संचार/सम्प्रेषणका अर्थ

( Meaning of Business Communication)

व्यवसाय के संचालन के लिये व्यवसायी को अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क रखना पड़ता है तथा निरन्तर अपने कर्मचारियों, ग्राहकों तथा अन्य व्यक्तियों से संवाद करना पड़ता है। संवाद की इसी प्रक्रिया को ही व्यावसायिक संचार कहा जाता है। वर्तमान प्रगतिशील युग में संचार, व्यवसाय का महत्त्वपूर्ण अंग है। व्यवसाय की कोई भी क्रिया जैसे उपभोक्ता को उत्पाद के विषय में जानकारी देने की हो या अपने कर्मचारियों में कार्य का विभाजन व उसकी समीक्षा करने की हो, बिना संचार के सम्पन्न नहीं होती। व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये व्यावसायिक संचार अत्यन्त आवश्यक होता है तथा इसके अभाव में व्यवसाय का सफल संचालन सम्भव नहीं हो सकता।

आर० लुडलो के अनुसार, “व्यावसायिक संचार, सूचना के प्रवाह तथा एक व्यवसाय में लोगों द्वारा एक-दूसरे को समझने की प्रक्रिया है। इसके अन्तर्गत परस्पर संचार के विभिन्न मॉडलों तथा माध्यमों को सम्मिलित किया जाता है।


सी० जी० ब्राउन के अनुसार, “व्यावसायिक संचार संदेशों तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों को जानने की प्रक्रिया है। इसमें संचार के माध्यम सम्मिलित होते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि व्यावसायिक संचार सूचनाओं के आदान-प्रदान की एक सतत् प्रक्रिया है जिसमें तथ्यों, विचारों एवं भावनाओं को विभिन्न माध्यमों से दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचाया जाता। है जिससे व्यावसायिक उद्देश्यों एवं व्यवहार में सामंजस्य स्थापित होता है।

Business Communication An Introduction


संचार/सम्प्रेषण की विशेषताएँ

(Characteristics of Communication)


(1) संचार/सम्प्रेषण में कम से कम दो व्यक्तिहोते हैं (Communication involves at least two persons)-संचार में कम से कम दो व्यक्तियों अथवा समूहों के मध्य सन्देश का आदान प्रदान होता है। वह व्यक्ति जो बोलता, लिखता या दिशा निर्देश देता है उसे सम्प्रेषक तथा जो व्यक्ति इन संदेशों को सुनता है, प्राप्त करता है उसे सम्प्रेषणग्राही कहा जाता है।

(2) संचार/सम्प्रेषण एक सतत् प्रक्रिया है(Communication is a Continuous Process)-व्यावसायिक संचार निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है क्योकि कर्मचारियों, ग्राहकों, सरकार आदि बाह्य एवं आन्तरिक पक्षों के मध्य, सन्देशों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया व्यवसाय में निरन्तर बनी रहती है।

(3) संचार/सम्प्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है(Communication is a two way Process)-संचार एक द्विमार्गी प्रक्रिया है। सन्देश प्राप्त करने पर ही संचार प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती, जब तक कि संदेश प्राप्तकर्ता सन्देश भेजने वाले के सही अर्थ भाव को नहीं समझता एवं अपनी प्रतिक्रिया अथवा प्रतिपुष्टि सन्देश प्रेषक को प्रदान नहीं करता। अत: सन्देशवाहन दोहरा आदान प्रदान है, न कि एक तरफा।

(4) सन्देश की अनिवार्यता (Message isMust)-बिना सन्देश के संचार नहीं हो सकता है, अत: संचार में सन्देश का होना अनिवार्य है। यदि सन्देश नहीं है तो संचार असम्भव है।

(5) संचार/सम्प्रेषण मौखिक, लिखित एवंसांकेतिक हो सकता है (Communication may be Written/Oral/Gestural)-संचार सामान्यत: मौखिक अथवा लिखित रूप में होता है परन्तु इसमें होठों, आँखों तथा हाथों का विक्षेप भी महत्त्वपूर्ण होता है। शारीरिक भाषा या इशारों या संकेतों के द्वारा भी मनुष्य अपनी बात दूसरे व्यक्तियों तक पहुँचा सकता है।

(6) संचार/सम्प्रेषण में उचित माध्यम कीआवश्यकता (Need of Proper Medium)-संचार के लिये उचित माध्यम का चयन अत्यन्त आवश्यक है। सन्देश देने के लिये उस संचार माध्यम का प्रयोग आवश्यक है जो सन्देश की विषय-वस्तु से मेल खाता है।


(7) संचार/सम्प्रेषण एक प्रबन्धकीय कार्य है(Communication is a Managerial Function)-संचार एक प्रबन्धकीय कार्य एवं संस्था के कार्यों के निष्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। नियन्त्रण प्रक्रिया का मूलाधार संचार ही है जिसके द्वारा कर्मचारियों एवं कार्य पर नियन्त्रण प्राप्त किया जाता है। कर्मचारियों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण भी प्रभावी संचार के द्वारा ही बनाया जा सकता है।

(8) सम्बन्ध विकसित करने का यन्त्र (Tool of Relation Development)-व्यवसाय के लिये संचार, सम्बन्ध स्थापित करने तथा उन्हें विकसित व प्रबल बनाने का एक यन्त्र है।

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व्यावसायिक संचार/सम्प्रेषणकी आवश्यकता क्यों है?

(Why Business Communication?)


व्यावसायिक संस्थानों के लिये संचार/सम्प्रेषण की आवश्यकता को निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है


(1) व्यावसायिक संस्थान की जटिलताएँ(Complexities of Business Organisation)-आधुनिक व्यावसायिक संस्थानों के कार्यों में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण अब ये संस्थान साधारण फर्मों से बढ़कर जटिल ढाँचे में बदल चुके हैं। इनमें हजारों कर्मचारी फैक्टरी तथा कार्यालयों में कार्य पर रखने पड़ते हैं तथा इनका कारोबार देश के विभिन्न भागों तथा विदेशों में भी फैला होता है। अपनी विभिन्न शाखाओं को समन्वित करने के लिए एवं प्रभावी संगठन के लिए उन्हें अविरल संचार सुनिश्चित करना पड़ता है।

(2) सचना तकनीकी क्रान्ति (Information Technology Revolution)-बीसवीं सदी के अन्तिम दशक में हुई सूचना तकनीकी क्रान्ति ने व्यवसाय की सभी क्रियाओं को परिवर्तित कर दिया है। कम्प्यूटर और इन्टरनेट के विस्तार के साथ, सूचना की उपलब्धता में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है तथा अधिशासियों एवं कर्मचारियों में विचारों का आदान प्रदान आसान हो गया है और इसने भोगौलिक सीमाओं को भी पार कर लिया है। ई-मेल के यग में संस्थाओं को नए संचार उपकरण लगाने ही पड़ेगे जो शीघ्र से शीघ्र, कम से कम समय में सूचना प्रदान कर सकें। । (3) बढ़ती हुई विशिष्टताएँ (Growing Specializations)-व्यवसाय का

(3) बढंती हुई विशिष्टताएँ(Graminashecializations) व्यवसाय की जटिलताओं के साथ, सस्था के भिन्न-भिन्न कार्य विशिष्ट कर्मचारियों की देख-रेख में होते हैं। संस्था के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, शक्ति एवं प्रयास ठीक दिशा में अग्रसर हो रहे हैं. इसे सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट कर्मचारियों में समन्वय आवश्यक है। विश्वास. समन्वय और आपसी समझ का वातावरण बनाने के लिए अच्छा संचार आवश्यक है।


(4) बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा (Growing Competetion)-उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के साथ व्यवसायों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है और ग्राहक को अच्छे से अच्छे उत्पाद, बढ़िया और शीघ्र सेवा के साथ उपलब्ध हैं। नए ग्राहक बनाने के लिए और पुराने ग्राहकों को बनाए रखने के लिए व्यवसायी को प्रभावी संचार प्रतिभा की आवश्यकता है। उसे विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, व्यक्तिगत विक्रय आदि के द्वारा उत्पाद के विक्रय को प्रोत्साहित करना पड़ता है।

(5) विश्व एक गाँव (Global Village) उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की तीव्र लहरों के साथ विश्व एक गाँव बन कर रह गया है, जहाँ व्यवसाय के लिए भिन्न-भिन्न देशों में कार्य करना होता है। इसके लिए इसे भिन्न-भिन्न देशों के लोग कार्य पर रखने होते हैं और उनसे बातचीत करनी पड़ती है। अत: ऐसे संचार की आवश्यकता होती है जो सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर सके।

(6) व्यापार संघ (Trade Unions)-आज के युग में उत्तरदायी एवं जिम्मेदार व्यापार संगठन. प्रबन्धकों पर अनेक प्रकार के दबाव डालते हैं। प्रबन्ध को संगठन के नेताओं के साथ स्वस्थ एवं लयबद्ध सम्बन्ध, बनाकर रखने पड़ते हैं और नेताओं को प्रभावित भी करना पड़ता है। इसके लिए प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है।

(7) संचार कला की भूमिका (Role of Communication Skill)-संचार कला व्यवसाय की सफलता में निर्णायक एवं प्रभावशाली भूमिका निभाती है। किसी के पास कितना भी व्यवसायिक और विशिष्ट ज्ञान क्यों न हो, बेशक उसके पास रचनात्मकता और तीव्र बुद्धिमत्ता क्यों न हो, ये सब सफलता दिलाने की गारण्टी नहीं हो सकते। व्यक्ति को प्रभावी ढंग से संचार करना आना चाहिए। बरेन दैसी ने सत्य कहा है, “आपकी सफलता प्राप्त करने की योग्यता और अपना कर्त्तव्य अच्छी तरह निभाने की योग्यता, आपकी प्रभावी संचार करने की योग्यता के साथ जुड़ी हुई है। प्रबन्धक के रूप में आपके जीवन की गुणवत्ता आपकी संचार करने की योग्यता से ही जानी जाएगी।” (Your ability to communicate effectively is closely tied to your ability to perform effectively to get the results for which you were hired. The quality of your communication with others will determine the quality of your as a manager.)

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व्यावसायिक संचार/सम्प्रेषणके उद्देश्य या कार्य

(Objects or Functions of Business Communication)


व्यावसायिक संचार/सम्प्रेषण के प्रमुख उद्देश्य या कार्य निम्नलिखित हैं

(1) सही सूचनाएँ एवं सन्देश देना (Give Accurate Information)संचार का मुख्य उद्देश्य सही व्यक्ति को सही सूचना एवं सन्देश पहुँचाना होता है। सन्देश पूर्ण रूप से समझने योग्य तथा प्राप्तकर्ता द्वारा उसी रूप में समझना चाहिए जिस रूप में प्रेषणकर्त्ता उसे समझाने का प्रयास कर रहा है। इस हेत सुचना प्रेषणकर्ता को उचित संचार माध्यम का प्रयोग करना अत्यन्त आवश्यक होता है ताकि सुचनाग्राही तक सूचना उचित तथा अपरिवर्तित अर्थ सहित पहँचे।।


(2) मधुर औद्योगिक सम्बन्धों का सृजन(Development of Positive Industrial Rajation) सम्प्रेषण प्रक्रिया की सहायता से औद्योगिक सम्बन्धों में मधुरता उत्पन्न की जा सकती है। सम्प्रेषण प्रक्रिया के द्वारा सभी पक्ष एक-दूसरे की भावनाओं, दृष्टिकोणों एवं विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इससे अच्छे औद्योगिक सम्बन्धों का निर्माण होता है। बेहतर सम्प्रेषण के द्वारा नियोक्ता और। कर्मचारी एक दूसरे की भावनाओं और विचारों से अवगत हो जाते हैं, जिससे गलतफहमी की कोई। गुजाइश नहीं रहती।

(3) प्रबन्धकीय कौशल में वृद्धि करना(Improvement of Management Skill)-कुशल संचार व्यवस्था, प्रबन्धकीय कुशलता में वृद्धि करती है। प्रबन्धक, संस्था में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं के सम्बन्ध में तथ्यों, विचारों, दृष्टिकोणों, सूचनाओं एवं भावनाओं को आसानी से प्राप्त कर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं जो न केवल उनके कौशल को बढ़ाते हैं बल्कि संस्था का विकास भी उनमें निहित होता है।

(4) व्यावसायिक क्रियाओं में समन्वय (Co-ordination in Business Activities)-व्यवसाय द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि समस्त व्यावसायिक क्रियाओं, विभागों तथा उपविभागों में समन्वय हो। संचार इस कार्य को सुचारु रूप से करता है। वस्तुतः समन्वय के लिये सम्प्रेषण एक पूर्व आवश्यक शर्त है।

(5) नीतियों को प्रभावशाली बनाना (Make Policies Effective)-औद्योगिक संस्था . कर्मचारियों के मार्गदर्शन हेतु एवं उत्पादन में वृद्धि के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों का सृजन करती है तथा उन नीतियों एवं कार्यक्रम को उनसे सम्बन्धित व्यक्तियों तक पहुँचाती है। यह कार्य केवल प्रभावी सम्प्रेषण के द्वारा ही मूलरूप से सम्बन्धित पक्षों तक प्रेषित किया जा सकता है।

(6) सन्देहों/भ्रमों को दूर करना (To Avoid Confusion)-व्यवसाय में प्रत्येक सूचना विभिन्न स्तरों से होकर गुजरती है तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी बद्धि के अनुसार उसका अर्थ निकालते हैं, जिससे कभी-कभी भ्रम पैदा हो जाते हैं। सम्प्रेषण में भ्रम उत्पन्न होना सम्प्रेषण का सबसे बड़ा शत्रु है। सम्प्रेषण को मूलरूप में बनाये रखने के लिए भ्रमों को दूर करना अत्यन्त आवश्यक है।

(7) परिवर्तनों को लागू करना (Implement Changes) कण्ट्ज एवं ओ’ डोनेल ने कहा है-“अपने व्यापक अर्थों में उपक्रम में सम्प्रेषण का उद्देश्य परिवर्तन को लागू करना है।” आज की अर्थव्यवस्था बाजारोन्मुखी है, जिसमें व्यावसायिक परिवर्तन अत्यन्त तीव्र गति से हो रहे हैं। प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था होने पर परिवर्तनों को शीघ्र ही लागू किया जा सकता है, अन्यथा विलम्ब करने पर हानि होने की संभावना उत्पन्न हो जाती है।

(8) शीघ्र निर्णयन एवं उनका क्रियान्वयन(Rapid Decision and Implementation)-व्यवसाय में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पूर्व सम्बन्धित सूचनाओं का संकलन आवश्यक होता है। इसके लिये प्राथमिक स्तर पर सम्प्रेषण प्रक्रिया को ही अपनाया जाता है। निर्णय को, प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित करने के लिये पुन: सम्प्रेषण प्रक्रिया की सहायता ली जाती है। इस प्रकार निर्णय लेने एवं उन्हें क्रियान्वित करने के लिये सम्प्रेषण प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है।

(9) माल अथवा सेवाओं की बिक्री (Sale of Goods or Services)-माल अथवा सेवाओं की बिक्री के द्वारा व्यापार में लाभ कमाया जाता है। इनकी बिक्री व्यावसायिक संचार द्वारा ही सम्भव है। सम्भावित ग्राहकों को अपने माल की गुणवत्ता के बारे में जानकारी केवल व्यावसायिक संचार द्वारा ही दी जा सकती है। चाहे विज्ञापन हो, पत्र व्यवहार अथवा व्यक्तिगत तौर पर माल खरीदने के लिए प्रेरित करना व्यावसायिक संचार का ही कार्य है।

(10) पूर्तिकर्ताओं के साथ सम्बन्ध(Relations with Suppliers)-यदि व्यवसाय में माल का निर्माण किया जाता है अथवा बने हुए माल की बिक्री की जाती है, प्रत्येक स्थिति में कच्चा या बने माल की आवश्यकता होती है। कच्चा माल किस किस्म का, कब, मात्रा इत्यादि सूचनाओं को पूर्तिकर्ता तक पहुँचाने का कार्य व्यावसायिक संचार का ही है। क्रय किए जाने वाले माल के सम्बन्ध में जानकारी, पूर्ति की शर्ते, भुगतान सभी के लिए व्यावसायिक संचार की आवश्यकता पड़ती है।

(11) अन्य पक्षों को सूचना (Information to other Parties) व्यावसायिक संचार का एक महत्त्वपूर्ण कार्य अन्य पक्षों को सूचनाएँ देने का भी है। व्यवसाय के दौरान बैंक, सरकारी अधिकारियों, दूसरे व्यावसायिक सहयोगियों, अन्वेषक इत्यादि व्यक्तियों से सूचनाओं का आदान-प्रदान आवश्यक होता है। यह सब केवल व्यावसायिक संचार द्वारा ही सम्भव है। सरकारी नियमों की जानकारी, उनका स्पष्टीकरण तथा पालन हर व्यवसाय के लिए आवश्यक है। व्यवसाय शुरू करने से पहले सरकारी आज्ञा से लेकर बिक्री कर, उत्पादन कर, आयकर इत्यादि सभी विभागों से तालमेल केवल व्यावसायिक संचार का ही कार्य है। यदि व्यवसाय कम्पनी के रूप में संचालित किया जा रहा है, तो अंशधारियों से सम्बन्धित सभी कार्य भी व्यावसायिक संचार के अन्तर्गत आते हैं।

(12) व्यवसाय की ख्याति उत्पन्न करना (To create Goodwill for the Business)-प्रत्येक व्यवसाय की प्रगति तथा उन्नति में ख्याति का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। व्यावसायिक संचार, व्यवसाय की ख्याति उत्पन्न करने में और उसे बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भमिका निभाता है।


Team YADAV SMART PRODUCTION👍👍

Next chapter Coming Soon ---

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